Tuesday 1 December 2015


झारखण्ड की राजधानी राँची में एक सड़क है लगभग ५०० मीटर लंबी, इसका नाम है रेडियम रोड.

अब रेडियम रोड नाम क्यूँ पड़ा इसकी जानकारी मुझे नहीं है, कुछ लोगों का कहना है की बहुत पहले कभी रेडियम आयात कर ला के यहीं रखा गया था इसलिए इसका ये नाम पड़ा.

खैर, कल यानी ३० नवम्बर २०१५ वक्त दिन के १ से २ बजे के बीच का.

एक वृद्धा मैले कुचैले कपडे पहने सड़क पर चली जा रही थी, हाँ रेडियम रोड पर.

इनको देख कर महसूस होता था की अपनों ने घर से बेदखल कर दिया हो, अपने सर पर एक गठरी लिए हुए, अत्यंत धीमे चाल से चली जा रही थी.

नहीं इसमें कुछ भी विस्मयकारी नहीं था, ये सब तो आम बातें हैं आजकल.

लेकिन कुछ ऐसा था जो ध्यान उस ओर खींच रहा था.

३ युवतियां जो की छात्राओं सी प्रतीत हो रही थी, उस वृद्धा के आगे चल रही थीं, पर वो कितना भी धीमे चलतीं वृद्धा हमेशा उनसे पीछे ही रहती थी, बार बार उस से कुछ पूछती हुई तीनों चल रही थीं, वृद्धा भी अपनी आयु की वजह से लगता है स्पष्ट बात नहीं कर पा रही थी.

तीनों युवतियों को देख कर पता चला की उनमे से एक, जो की उनमे सब से सभ्रांत नज़र आ रही थी, ज्यादा संवेदनशील थी अन्य दोनों को देख कर लगा की वैसे ही फंस गयी हैं ऐसे काम में जिसमे उनकी कोई रूचि न हो.

संवेदनशील युवती ने एक रिक्शेवाले को आवाज़ दी, फिर बड़े ही धैर्य से वृद्धा का इन्तज़ार किया, कुछ मीटर की दूरी तय करने में उन्हें कई मिनट लग रहे थे. उसने वृद्धा को रिक्शे पर बैठने को कहा.

लेकिन उनके तो पैर ही नहीं उठ रहे थे, अब क्या होगा?

यही सोचते सोचते देखा की संवेदनशील युवती ने अति संवेदनशीलता का परिचय दिया, उसने वृद्ध महिला के गंदे कपड़ों को नज़रंदाज़ कर उसे लगभग उठा कर रिक्शे पर बिठा दिया.

इतना ही नहीं उसने रिक्शेवाले को किराए के पैसे भी दिए.

तुम जो भी हो, इश्वर तुम्हारी ये संवेदनशीलता बनाए रखे!

GOD Bless You Girl!